सपनों की है यह कैसी गाथा ,
कई बार इन्हें मैं समझ न पाता |
बंद आँखों से वोह देख लेता ,
जिन्हें खुली आँखों से देखना हूँ चाहता |
बचपन में सोचता था ...
की पता नहीं कब कॉलेज जाएँ |
और अब कॉलेज में आकर...
काश वो बचपन फिर से आये |
पर सपनों को सच करना है ,
जीवन में कुछ बनना है |
सपनों में रंग भरना है ,
सफलता की सीरिओं पर chardna है |
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